विप्रो, इंफोसिस, टीसीएस में बीटेक इंजीनियर्स की सैलरी प्लंबर-इलेक्ट्रीशियन से भी कम, सामने आया चौंकाने वाला सच
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विप्रो, इंफोसिस, टीसीएस में बीटेक इंजीनियर्स की सैलरी प्लंबर-इलेक्ट्रीशियन से भी कम, सामने आया चौंकाने वाला सच

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Anand JhaUpdated on 15 Sep 2025, 12:15 PM IST
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जिस देश में इंजीनियरिंग को सफलता की पहली सीढ़ी माना जाता है, उसी देश में एक कड़वी सच्चाई सामने आ रही है। नए बी.टेक ग्रेजुएट, जिन्होंने इस डिग्री को हासिल करने के लिए लगभग 20 लाख रुपये और अपने जीवन के 4 साल खर्च किए उन्हें टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो और कॉग्निजेंट जैसे टॉप आईटी कंपनियों में काम करने पर प्लंबर-इलेक्ट्रीशियन जैसे स्किल्ड वर्कर से भी कम सैलरी में काम करना पड़ रहा है। यह लेख कैंपस से नियुक्त बी.टेक फ्रेशर्स की कमाई में इतने बड़े अंतर के पीछे के आंकड़ों और परेशान करने वाली वास्तविकता पर ध्यान केंद्रित करेगा।

विप्रो, इंफोसिस, टीसीएस में बीटेक इंजीनियर्स की सैलरी प्लंबर-इलेक्ट्रीशियन से भी कम, सामने आया चौंकाने वाला सच
विप्रो, इंफोसिस, टीसीएस में बीटेक इंजीनियर्स की सैलरी प्लंबर-इलेक्ट्रीशियन से भी कम, सामने आया चौंकाने वाला सच


आईआईटी मद्रास डेटा साइंस में बीएस

15 साल की आईटी में नौकरी, लेकिन नहीं मिला ग्रोथ


आज से 15 साल पहले साल 2010 में बतौर फ्रेशर सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सैलरी ₹3.5 लाख प्रति वर्ष होती थी। वहीं अब 15 साल बाद भी अधिकांश तौर पर फ्रेशर सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को वहीं सैलरी मिल रही है। सभी आईटी कंपनी के मुनाफे में पिछले 1 दशक में भारी वृद्धि हुई है लेकिन उसके बावजूद फ्रेशर सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की सैलरी आज भी उतनी ही है।


कंपनी

महीने की सैलरी

साल का पैकेज

हर घंटे की सैलरी

टीसीएस (एसोसिएट सिस्टम इंजीनियर)

₹ 28,072

₹ 3.36 lakh

₹ 156

इनफ़ोसिस (सिस्टम इंजीनियर ट्रेनी)

₹ 30,000

₹ 3.60 lakh

₹ 167

कॉग्निजेंट (प्रोग्रामर एनालिस्ट ट्रेनी)

₹ 33,499

₹ 4.01 lakh

₹ 186

विप्रो (जूनियर मेंबर)

₹ 25,000

₹ 3.00 lakh

₹ 139


महीने में 180 घंटे के वर्किंग टाइम (9 घंटे/दिन, 20 दिन/माह) को मानते हुए, इन रोल में एक इंजीनियर प्रति घंटे 139 से 186 रूपये तक कमाते है। ये आंकड़े आश्चर्यजनक रूप से कम हैं जब आप सोचते है कि आज से 15 साल पहले भी बी. टेक इंजीनियर को यहीं सैलरी मिल रही थी। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस दौरान मुद्रास्फीति लगभग दोगुनी हो गई है, और इसी अवधि में बी.टेक डिग्री की करने की लागत भी 1-2 लाख से बढ़कर 20-25 लाख हो गई है। इससे यह समझ आता है कि बी. टेक की डिग्री करने के लिए छात्र अपनी शिक्षा में काफी समय, प्रयास और पैसा लगा रहे हैं, वो भी एक ऐसी सैलरी प्राप्त करने के लिए जो मौजूदा समय में आर्थिक वास्तविकताओं के साथ तालमेल नहीं रखता हैं।


इसके विपरीत, इन आईटी कंपनियों का मुनाफा तेजी से बढ़ा है। उदाहरण के लिए, टीसीएस जैसी कंपनियों ने अपने मुनाफे को 3,000-4,000 करोड़ से बढ़ाकर 34,000 करोड़ कर लिया है लेकिन आईटी कंपनियों ने फ्रेशर बी.टेक इंजीनियर्स की सैलरी में कोई भी वृद्धि नहीं की है।


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शहर में स्किल्ड वर्कर की कमाई


नीचे दी गई टेबल में प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, क्लीनर, बढ़ई, ब्यूटीशियन का काम करने वाले स्किल्ड वर्कर की एवरेज सैलरी से अवगत कराने का प्रयास किया गया है,


जानकारी


यूनिट

सभी प्रोफेशंस


>30 सेवाएँ

/माह


टॉप 20% ऑर्डर


टॉप 10% ऑर्डर


टॉप 5% ऑर्डर

मासिक सक्रिय सेवा पेशेवरों का प्रतिशत

%

100

63

20

10

5

ग्रॉस इनकम (औसत)

प्रति महीने

50,392

62,541

77,211

86,546

92,619

शहरी कंपनी शुल्क %

%

27.95

27.29

27.39

26.93

27.07

प्रोफेशनल द्वारा दिया गया इनडाइरेक्ट टैक्स


प्रति महीने

479

644

651

721

785

आने- जाने का खर्च

प्रति माह

1,852

2,417

2,848

3,211

3,541

प्रोडक्ट और एडिशनल पर्सनल कॉस्ट


प्रति माह

7,490

8,451

11,267

12,489

13,504

नेट कमाई (औसत)

प्रति माह

26,489

33,962

41,292

46,815

49,719

प्लेटफ़ॉर्म पर बिताए गए घंटे

प्रति माह घंटे

87

109

134

148

160

कमाई प्रति घंटे

प्रति घंटे

304

312

308

316

311



टेबल में दिए गए डाटा से यह ज्ञात होता है शहरों में स्किल्ड वर्कर की प्रति घंटे सैलरी औसतन 300 रूपये है जो बी.टेक इंजीनियर्स की सैलरी से लगभग दोगुना है।


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ब्लू कॉलर वर्कर्स बनाम बी.टेक ग्रेजुएट्स: सैलरी कंपैरिजन


पिछले 15-20 वर्षों में, टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो और कॉग्निजेंट जैसे टॉप आईटी कंपनी में बी.टेक ग्रेजुएट्स की स्टार्टिंग सैलरी में लगभग कोई बदलाव नहीं आया है। मुद्रास्फीति दोगुनी होने, शिक्षा की लागत 4-5 गुना बढ़ने और कॉर्पोरेट मुनाफे में 8-10 गुना वृद्धि के बावजूद, फ्रेशर बी.टेक इंजीनियर्स को अभी भी लगभग 3 से 3.5 लाख प्रति वर्ष ही मिलते हैं।


दूसरी ओर, ब्लू-कॉलर वर्कर- जैसे इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, ड्राइवर और अन्य प्रोफेशनल्स जो खासकर अर्बन कंपनी, स्विगी, ज़ोमैटो, उबर और ओला जैसे प्लेटफॉर्म पर काम करते है वो फ्रेशर बी.टेक ग्रेजुएट से प्रति महीने और प्रति घंटे ज्यादा ही कमा रहे हैं।


कंपनी/ केटेगरी


प्रति घंटे कमाई

महीने की कमाई

टीसीएस (एसोसिएट सिस्टम इंजीनियर)

156

28,072

इनफ़ोसिस (सिस्टम इंजीनियर ट्रेनी)

167

30,000

कॉग्निजेंट (प्रोग्रामर एनालिस्ट ट्रेनी)

186

33,499

विप्रो (जूनियर मेंबर)

139

25,000

अर्बन कंपनी (स्किल्ड प्रोफेशनल्स)

311

49,719

स्विग्गी (डिलीवरी एग्जीक्यूटिव)

315

25,234

ज़ोमैटो (डिलीवरी पार्टनर)

350

28,000

उबर (ड्राइवर)

331

29,732

ओला (ड्राइवर)

367

33,000


अर्बन कंपनी का प्रोफेशनल प्रति घंटे 311रूपये कमाता है, जबकि टॉप आईटी कंपनी में काम करने वाला बी.टेक इंजीनियर्स प्रति घंटे 156 से 186 रूपये तक ही कमा पाते है। वहीं शहरों में काम करने वाले स्किल्ड वर्कर महीने में औसतन 160 घंटे काम करने के बाद 49, 719 रूपये प्रति महीने तक कमा लेते है। साल 2007 में, एक बी.टेक ग्रेजुएट अपनी पढ़ाई पर लगी हुई लागत को 2 से 3 सालों में वसूल कर लेता था लेकिन अब उन्हें अपने डिग्री पर हुए खर्च को वसूलने में 6 से 8 साल का समय लगता है।

यह लेख न केवल सैलरी की तुलना नहीं कर रही है बल्कि भारत में चरमराते रोजगार ढांचे का प्रतिबिंब भी दर्शा रहा है। कंपनियां नौकरियों की सख्त जरूरत का फायदा उठा रही हैं, जबकि गिग इकॉनमी में स्किल वर्कर अपने शर्तों पर काम करके वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त कर रहे हैं। ऐसे में अगर आने वालों वर्षों में भी बी.टेक फ्रेशर ग्रेजुएट की सैलरी मुद्रास्फीति और शिक्षा की लागत के अनुरूप संशोधित नहीं होगी तो इंजीनियर बनने का सपना जल्द ही अपनी महत्वपूर्णता खो देगा।

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BEST REGARDS

Currently, there is no official release of JEE Mains 2026 registration begin. But on an average, every year there will be 11 Lakh to 12.5 Lakh students register

Hello,

If you belong to the BC (Backward Class) category, you can choose OBC-NCL in JEE Mains only if your caste is included in the Central OBC list released by the Government of India.

Here’s how it works:

  • Central OBC list: Used for national-level exams like JEE, NEET, UPSC, etc.

  • State BC list: Used only for state-level admissions or jobs.

So, if your BC caste name is in the Central list, select OBC–NCL while filling the JEE form.
If your caste is not in the Central list, choose General category, because the state BC certificate won’t be valid for JEE.

Example:
If you’re BC in Tamil Nadu but your caste isn’t in India’s Central list, you’ll be counted as General for JEE.

Hope you understand.

Hello,

No, it’s not compulsory to fill the APAAR ID in the JEE Main application form right now.

If your APAAR ID shows a “credential mismatch” error even after entering the correct number, don’t worry, you can simply leave it blank and continue filling the form.

  • The APAAR ID field is optional for most students.

  • It’s mainly for linking your academic records under the Academic Bank of Credits (ABC) system.

  • The mismatch often happens if your Aadhaar details or school record name format differ.

So, you can submit your JEE form without the APAAR ID, and it won’t affect your application.


Hope you understand.

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